फाग पर्व शुरुआत यहाँ से है।
फिर इहाँ
फिर इहाँ।
और अब नीचे ताकिए।
आप भी योगदान कर सकते हैं इस संक्रामक रोग को फैलाने में ।
इंटरनेट पर भी बसंत में आम बौराना चाहिए। रंग है, हुड़दंग है।
__________________फागुन आइल आचारज जी
लागे पहेली सोझ बतियाँ आचारज जी
अरे, आचारज जी।
नेहिया ले फन्दा मदन बौराया
मदन बौराया मदन बौराया
तेल पोतलें देहियाँ आचारज जी
न खाएँ गुलगुल्ला आचारज जी
आइल फागुन लखेरा आचारज जी।
बिछली दुअरवा लगन लग घूमे
लगन लग घूमे लगन लग घूमे
ताकें हमरी रसोइया आचारज जी
न खाएँ गुलगुल्ला आचारज जी।
मकुनी औ मेवा रोटी पकवलीं
चटनी पोत बिजना परोसलीं
बरजोरी से आए आचारज जी
अरे, आचारज जी।
चटकारा ले खाएँ आचारज जी
जो देखे कोई थूकें आचारज जी
न खाएँ गुलगुल्ला आचारज जी।
अरे आचारज जी।