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गुरुवार, 9 जुलाई 2009

वह

घोषित 'विराम' से थोड़ा विराम मिला तो ब्लॉगवाणी पर गया। पहली दृष्टि गई वर्तिका नन्दा की कविताओं पर आनन्द राय की एक पोस्ट पर। आनन्द जी की पोस्ट के बजाय मैं वर्तिका नन्दा के ब्लॉग पर गया तो वहाँ टिप्पणी के रूप में मुझे यह कविता दिखी, जो मैंने उन्हीं के शब्द उधार ले रच दिया था। उन्हों ने बहुत दिनों बाद इस टिप्पणी को प्रकाशित किया।

इतने छोटे विराम का लाभ ले यही कविता पोस्ट कर रहा हूँ। शब्द (शायद भाव भी) साभार: सुश्री वर्तिका नन्दा
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दिन
साबुन
ख्याल
धूप।

हमने
सपने धो
डाल दिए
सूखने।

सूनी आँख
साथ रात
जो जगी
वह कविता थी।