धूप!
आओ,अंधकार मन गहन कूप
फैला शीतल तम ।मृत्यु प्रहर
भेद आओ। किरणों के पाखी प्रखर
कलरव प्रकाश गह्वर गह्वर
कर जाओ विश्वास सबल ।
तिमिर प्रबल माया कुहर
हो छिन्न भिन्न। सत्त्वर अनूप
आओ। अंधकार मन गहन कूप
भेद कर आओ धूप।
आओ,अंधकार मन गहन कूप
फैला शीतल तम ।मृत्यु प्रहर
भेद आओ। किरणों के पाखी प्रखर
कलरव प्रकाश गह्वर गह्वर
कर जाओ विश्वास सबल ।
तिमिर प्रबल माया कुहर
हो छिन्न भिन्न। सत्त्वर अनूप
आओ। अंधकार मन गहन कूप
भेद कर आओ धूप।