शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

जागरण

प्रार्थना के अर्घ्य सम
अलस मंत्र गीति लय
निशा जागरण आँजुरी भर
पीना चाहता हूँ।

प्रात नव स्निग्ध नम
रक्तिम नींद अधर पर
ले चुम्बन एक पलक भर
सोना चाहता हूँ।

न कहना -
जागना चाहता हूँ!

_______________


गिरिजेश राव 

3 टिप्‍पणियां: