सोमवार, 7 नवंबर 2016

प्रेम करोगी?

प्रेम अंततः टूटना है आँजुरी भर पाँखुरी, भींचना है, कि रोयें, टूटे पुहुप, सुबुक और जग सुगंधित हो। कहो! प्रेम करोगी? (होना, प्रेम नहीं, बस आपा खोना है)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें