बुधवार, 12 सितंबर 2012

विद्रोही कविता

फरमाइश जब उठी मंच से 
'एक विद्रोही कविता हो जाय!'
 जेब से निकाल मुड़ा तुड़ा 
पहला प्रेमपत्र बाँच दिया 
भेजने का साहस भी 
न जुटा पाया जिसके लिये।

4 टिप्‍पणियां: