शनिवार, 7 अप्रैल 2012

माधुरी! भय है, संशय है, जय है



रक्त तप्त प्याले में माधुरी है। 
मधुसुख के पहले हाथ होठ जलने का भय है। 
जले होठों की औषधि भी होती है? संशय है।
वे कहते हैं भय के आगे ही जय है। 

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