बुधवार, 2 मार्च 2011

कुत्ते जी, कुत्ते जी!


कुत्ते जी, कुत्ते जी!
बोटी कि डंडा? 
बोटी ... भौं भौं। 

लेग पीस, ब्रेस्ट पीस 
मीट ही मीट 
बहुत कचीट।
नोच लिया
चबा लिया 
निगल लिया .. 
तुम्हरे खातिर। 
लो अब 
कटरकट्ट हड्डी 
बोटी ... भौं भौं। 

कुत्ते जी, कुत्ते जी!
बोटी कि डंडा? 
डंडा ... भौं भौं। 

गाँठ गाँठ पिलाई 
महँगी चिकनाई 
भाये जो जीभ। 
पीट लिया 
जीत लिया 
तोड़ दिया ... 
तुम्हरे खातिर। 
उछाल दिया 
लै आव बड्डी 
डंडा ... भौं भौं। 

कुत्ते जी, कुत्ते जी!
बोटी कि डंडा? 
कूँ  कूँ... कूँ  कूँ। 

जी कहूँ
दुलार कहूँ 
रहोगे कुत्ते ही।
पूँछ तो हिलाओ! 
कूँ कूँ ... कूँ कूँ। 

शाबास! 
बैठे रहो यूँ ही 
रहोगे कुत्ते ही। 
कुत्ते जी, कुत्ते जी!