रविवार, 21 नवंबर 2010

बात अकेली सी

बहुत हुए गुनाह बेखुदी में,अब क़यामत का आगाज़ हो
पढें अपनी अपनी हम तुम,जब शर्मनाक कोई बात हो।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बातें होती शर्मनाक भी, हो जाती कुछ दर्दनाक भी,
    जो कर जाते, दाँत निपोरें, हैं प्रचारसम ये विवाद भी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत हुए गुनाह बेखुदी में,अब क़यामत का आगाज़ हो
    पढें अपनी अपनी हम तुम,जब शर्मनाक कोई बात हो।
    sunder tweet.gagar main sagar.
    samajhdar ko isara.

    जवाब देंहटाएं
  3. chnd alfaazon men yun bhr di zindgi aapne jese maano maa ne aanchl men apne bdhdha chupa rkha ho bhut khub mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan

    जवाब देंहटाएं
  4. मुझे कुछ संदर्भ-प्रसंग की दरकार है।
    कुछ ‘आउट ऑफ़ टच’ रहा हूँ।

    जवाब देंहटाएं