कोई दीप जलाओ, बहुत अँधेरा है।
चलते रहे जिन वीथियों पर
भटकती पहुँचीं उन संगीतियों पर
न अर्थ जिनका, न कोई डेरा है।
सहेजते रहे ताड़पत्र गठरियाँ भर
कि रचेंगे छन्द कभी ठठरियाँ कर
जिस देह न वसन, न बसेरा है।
कर दिया सब अर्पण जिस वेदी पर
रखे कुम्भ जिस पर अक्षत भर भर
सगुन टूटा व जाना - कुछ न मेरा है।
कवितायें और कवि भी..
जो दूसरों की हैं, कवितायें हैं। जो मेरी हैं, -वितायें हैं, '-' रिक्ति में 'स' लगे, 'क' लगे, कुछ और लगे या रिक्त ही रहे; चिन्ता नहीं। ... प्रवाह को शब्द भर दे देता हूँ।
शनिवार, 13 फ़रवरी 2021
कोई दीप
शनिवार, 22 अगस्त 2020
रविवार, 5 अप्रैल 2020
दीप जला रे!
भ्रमित अहं मन अहन गिने रे
सूरज ने हारे अंधेरे
प्रीत द्यूत की जीत मना रे
दीप जला रे!
नायक चाप शर भङ्ग हिले
हंता मन में मोद खिले
आँखें जब हों दीर्घतमा रे
दीप जला रे!
दिशाशूल सब सङ्ग मिले
यात्रा के बहुपंथ भले
सब भूलों की माँग क्षमा रे
दीप जला रे!
इस रात विपथगा गङ्ग चले
पूनम में न आस दिखे
तेरस को भी मान अमा रे
दीप जला रे!
रुद्रों के सरबस शूल चले
भगीरथों के कंध छिले
दुखते पापों के भार सदा रे
दीप जला रे!
शुक्रवार, 23 अगस्त 2019
कृष्ण अस्त्र
कुमुद कौमुदी गदा देवी,
सहस्रार चक्र सु-दर्शन,
वनमृग शृङ्ग शार्ङ्ग चाप,
पाञ्चजन्य पञ्चजन आह्वान -
मैं जीवन में एक बार
केवल एक बार
हुआ स्तब्ध !
कुरु सखी पाञ्चाली विवश
सभा में दिगम्बरा आसन्न,
हाहाकार,
मौन देखते अनर्थ युग के
धर्म और बल धुरन्धर
मौन रह मैं बना अम्बर,
लौटा चुपचाप सत्वर।
उस दिन मेरी वेणु से
टूटा संगीत,
बाँध दिया उससे कषा,
अश्व हाँकने को -
महाविनाश की भूमिका मौन
मैं लौटा था चुपचाप
बाहर भीतर रथचक्र तक
सब स्तब्ध
कर्णमाधुरी हुई नष्ट।
...
हो गया विनाश,
भावी का अङ्कुर हत ब्रह्मशर,
केवल एक बार,
उमड़ी थीं ऊर्मियाँ अनन्त
केवल एक बार,
ली सौंह मैंने, अपने समस्त शुभ कर्म
रख दिये मानो निकष द्यूत पाश।
नवजीवन नवयुग नवनिर्माण
का पहला परीक्षित प्रस्तर
अमृत।
जानते हो?
वेणु भी हुई मुक्त
कषा के हिंस्र काषाय से,
रात भर मैंने बाँसुरी बजायी थी,
और
किसी ने न सुनी !
...
गाया सूतों ने
लिखा लोमहर्षण ने, सौती ने
कोई नहीं सुनता, कोई नहीं सुनता
यद्यपि मैं हाथ उठा उठा कहता।
...
मैं मुस्कुराता रहा वैकुण्ठ से -
रे सूत, वे स्वर मौन
सुनते हैं वे सब
जो रथ हेतु वेणु तजते हैं -
यह पृथ्वी,
ये सूर्य चन्द्र ऐसे ही थोड़े चलते हैं!
कृष्ण वेणु
शब्दचिह्न :
कृष्ण,
बाँसुरी,
वेणु,
श्रीकृष्ण,
Shrikrishna
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