tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post5858719038887167370..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: आर्जव और डीहवारागिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-85056826575614271892010-07-04T22:54:55.919+05:302010-07-04T22:54:55.919+05:30इसे कुछ फुर्सत से देखेंगे ।इसे कुछ फुर्सत से देखेंगे ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-41464453789220846352010-06-24T22:03:55.598+05:302010-06-24T22:03:55.598+05:30ये पोस्ट अभी अनरेड ही रहेगी. बाद में एक एक कर के द...ये पोस्ट अभी अनरेड ही रहेगी. बाद में एक एक कर के देखता हूँ.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-73542993997470560282010-06-14T15:25:41.078+05:302010-06-14T15:25:41.078+05:30मंगलवार 15- 06- 2010 को आपकी रचना (आओ प्रिय ).....मंगलवार 15- 06- 2010 को आपकी रचना (आओ प्रिय )... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है <br /><br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-90945517670696445702010-06-14T01:49:32.648+05:302010-06-14T01:49:32.648+05:30जी , ये तो कुछ ज्यादा हो गया .....इतनी अच्छी हैं प...जी , ये तो कुछ ज्यादा हो गया .....इतनी अच्छी हैं पन्क्तियां ? ????? अच्छा! ! ! विचित्र ! ! ! !अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-59458711659749069662010-06-14T00:42:00.999+05:302010-06-14T00:42:00.999+05:30वाह जैसे गुरु वैसा शिष्य.. अभी तो आर्जव को ही पढ र...वाह जैसे गुरु वैसा शिष्य.. अभी तो आर्जव को ही पढ रहा हू.. आर्जव की पन्च लाईन ही एक किक देती है.. <b>सहज, सरल, सतत ... </b> <br />वाह!!<br /><br />डीहवारा पर भी जाते है..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-82963221464698453372010-06-13T23:26:20.651+05:302010-06-13T23:26:20.651+05:30बहुत खूबसूरत पोस्ट....सारी रचनाएँ बहुत मनभावन हैं....बहुत खूबसूरत पोस्ट....सारी रचनाएँ बहुत मनभावन हैं...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-86147972312090467552010-06-13T20:21:48.360+05:302010-06-13T20:21:48.360+05:30गिरिजेश जी ,
धन्यवाद . 'डीहवारा' पर इतनी ...गिरिजेश जी ,<br /> धन्यवाद . 'डीहवारा' पर इतनी सारी टिप्पणियों के लिए आभार .<br /> ब्लॉग-जगत में इस तरह प्रस्तुत करने पर एक ही बात याद आती है-- ' बड़ी मुश्किल से होता है चमन में.......'.<br />आपकी खुर्दबीनी दीदावरी को नमन .rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-39514732247977355922010-06-13T20:04:59.478+05:302010-06-13T20:04:59.478+05:30मान गये आपको, आपकी पारखी नज़र को और विद्वत्ता को ज...मान गये आपको, आपकी पारखी नज़र को और विद्वत्ता को जो ब्लॉग तो ब्लॉग, कविता के चुनाव में भी दिखाई दे रही है. <br /><br />आर्जव का तो मैं बहुत दिनों से प्रशंसक हूँ. शब्दों का जो अकूत भंडार है उसके पास और जिस अनुशासन से वह उनका प्रयोग करता है किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देने के लिए काफी है. सोचता था कुछ सीखना पड़ेगा लेकिन अब आप ने गुरु से भी मिलवा दिया है तो सीधे उन्हीं से संपर्क साधने में भलाई लगती है.<br /><br />रजनीकान्त की कविताएँ पहली बार पढ़ी..ध्यान से वही, जो आपने लिखी है. वाकई अद्भुत है. फिर पढूंगा और भी...<br /><br />.. ऐसे ब्लागरों को ढूंढ कर निकालना, उनकी कविता की चर्चा करना<br />जो अपने समयाभाव के कारण (अध्ययन या पारिवारिक) ब्लॉग में अधिक समय नहीं दे सकते लेकिन अनवरत अच्छा लिख रहे हैं, बहुत ही प्रशंसनीय कार्य है. इसे पढ़कर चिट्ठा चर्चा करने वाले धुरंधरों को भी कुछ और खोजने का मन करे तो आश्चर्य न होगा.<br />..आभार.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-33794775006291729722010-06-13T18:29:23.153+05:302010-06-13T18:29:23.153+05:30आर्जव तो नई खेप में दी बेस्ट है...
धन्यवाद..आर्जव तो नई खेप में दी बेस्ट है...<br />धन्यवाद..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-89150547067364555192010-06-13T17:54:07.770+05:302010-06-13T17:54:07.770+05:30दोनों ही कवितायें उत्कृष्ट । परिचय के लिये आभार ।दोनों ही कवितायें उत्कृष्ट । परिचय के लिये आभार ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-35116240259802257622010-06-13T17:53:04.347+05:302010-06-13T17:53:04.347+05:30आपने यह रहस्य खोला...यह तो मैं पहले ही खोल चुका हू...आपने यह रहस्य खोला...यह तो मैं पहले ही खोल चुका हूँ - यहाँ नहीं पहुँचे हैं न आप ! <br /><a href="http://ramyantar.blogspot.com/2009/09/blog-post_04.html" rel="nofollow">इस तरह नष्ट होती है वासना !</a><br /><br />टिप्पणियाँ भी पढ़िएगा !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-5890335080811137172010-06-13T17:38:41.532+05:302010-06-13T17:38:41.532+05:30आर्जव से मिलकर और भी अच्छा लगता है और इस मांमले म...आर्जव से मिलकर और भी अच्छा लगता है और इस मांमले में मैं आपसे बाजी मार ले गया हूँ :)<br />इन्हें चिट्ठाकार चर्चा में लेता इसके पहले आप ही ले उड़े ..चलिए आपकी यह पोस्ट भी उसमें आयेगी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-40806513881574082010-06-13T17:35:16.648+05:302010-06-13T17:35:16.648+05:30अब समझ रहा हूँ कैसे ’गीतांजलि’ की पांडुलिपि देख ’य...अब समझ रहा हूँ कैसे ’गीतांजलि’ की पांडुलिपि देख ’यीट्स (Yeats)'नाचने लगा होगा !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-79430566082176070062010-06-13T17:33:13.779+05:302010-06-13T17:33:13.779+05:30अभिषेक की कविता के लिए आपकी यह पंक्तियाँ मुदित कर ...अभिषेक की कविता के लिए आपकी यह पंक्तियाँ मुदित कर रहीं है इस मन को -<br />"आप हो जाँय स्नात - गन्ध गन्ध, छन्द छन्द ... <br />भीग उठें सहज लय प्रवाही काव्यधारा में<br />ठिठुरन की सीमा तक<br />हर कम्पन खोले नए नए अर्थ, <br />प्रगाढ़ कविता नवरस बरसाती <br />भीन उठे अस्तित्त्व के पोर पोर ।"<br /><br />नव गति-नव लय के साथ वह अग्रिम प्रवृत्त रहे ..शुभाशंसा !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-23250583927333098932010-06-13T16:54:18.683+05:302010-06-13T16:54:18.683+05:30आर्जव की प्रतिभा विस्मित करती रही है ....आर्जव की प्रतिभा विस्मित करती रही है ....वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-24418036998983948212010-06-13T15:47:57.129+05:302010-06-13T15:47:57.129+05:30शानदार पोस्ट है...शानदार पोस्ट है...Shekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.com