tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post4913352139351668604..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: तुम्हारी कविताईगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-33100758926035879152011-07-17T20:20:06.934+05:302011-07-17T20:20:06.934+05:30आखिरी आहुति सी
खुल गई
अभिव्यक्ति एकदम से !
---क्य...आखिरी आहुति सी<br />खुल गई<br />अभिव्यक्ति एकदम से !<br /><br />---क्या कहें? ये तो पंक्तियाँ कहानी सी समेटे हुए हैं..Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-54431117143669506592010-01-30T22:05:59.208+05:302010-01-30T22:05:59.208+05:30स्याही की टिकिया ..यह बिम्ब ज़ोरदार है ।स्याही की टिकिया ..यह बिम्ब ज़ोरदार है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-85436151718286960822010-01-26T05:52:03.869+05:302010-01-26T05:52:03.869+05:30@singhsdm
सिंह साहब, धन्यवाद। थोड़ी देर के लिए &#...@singhsdm <br />सिंह साहब, धन्यवाद। थोड़ी देर के लिए 'फ्रेम' शब्द पर मैं अटका था लेकिन जो प्रभाव चाह रहा था वह इसी शब्द से आ रहा था। भारतीय काल गणना में मुहुर्त क्षण से आगे आता है। यदि 'फ्रेम दर फ्रेम' की जगह 'मुहुर्तों में' कर दें तो कैसा हो?गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-6845728032085907922010-01-25T13:40:47.064+05:302010-01-25T13:40:47.064+05:30नये अर्थ खोजने हों तो आपकी रचना से बेहतर कुछ नही ....नये अर्थ खोजने हों तो आपकी रचना से बेहतर कुछ नही ........ आपकी शैली, आपका अंदाज जुदा है ..........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-82271872588354839222010-01-25T11:52:18.505+05:302010-01-25T11:52:18.505+05:30गिरिजेश जी
कविता तो काफी अच्छी है....बेहतर होता कि...गिरिजेश जी<br />कविता तो काफी अच्छी है....बेहतर होता कि हिंदी के ही शब्द प्रयोग किये जाते....महज एक शब्द अंग्रेजी का....कहीं खटकता है.....! अन्यथा न लें..कविता के लिए आप बधाई के पात्र हैंPawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-53823577362416255282010-01-25T07:09:40.316+05:302010-01-25T07:09:40.316+05:30शब्द समिधा ....भाव आहुति ...ऋचाओं ने आकार ले लिया ...शब्द समिधा ....भाव आहुति ...ऋचाओं ने आकार ले लिया ....किसी की कविताओ में ....!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-44478442513247538622010-01-25T05:01:09.415+05:302010-01-25T05:01:09.415+05:30waaaaaaaaaaah...pehli baar yahan aana hua or man p...waaaaaaaaaaah...pehli baar yahan aana hua or man prasann ho gaya...shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-50139783973567877122010-01-25T00:20:01.397+05:302010-01-25T00:20:01.397+05:30इन लाइनों को लिखने वाला तो ऋत्विज हुआ !इन लाइनों को लिखने वाला तो ऋत्विज हुआ !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-30859321031443779202010-01-24T21:59:06.076+05:302010-01-24T21:59:06.076+05:30----sanjeeda rachna,bdhai-------sanjeeda rachna,bdhai---तनु श्रीhttps://www.blogger.com/profile/08137749476720593975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-37939809576810355502010-01-24T21:03:11.503+05:302010-01-24T21:03:11.503+05:30वाह,काबिले तारीफ़ रचना.वाह,काबिले तारीफ़ रचना.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-27319157332753427462010-01-24T20:34:42.345+05:302010-01-24T20:34:42.345+05:30आदरणिय अरविन्द जी, मुझे तो अभी यह सब ‘अथ’ लगता है।...आदरणिय अरविन्द जी, मुझे तो अभी यह सब ‘अथ’ लगता है। ‘इति’ तो अनन्त दूरी पर होगी।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-32859848428600481082010-01-24T20:22:19.702+05:302010-01-24T20:22:19.702+05:30इन काव्य प्रयोगों को कोई ठहराव मिल जाये तो बोल दीज...इन काव्य प्रयोगों को कोई ठहराव मिल जाये तो बोल दीजियेगा<br />इतिArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-20653210585720320982010-01-24T19:17:45.651+05:302010-01-24T19:17:45.651+05:30मुनिवर..
मन पारदर्शी
में डल गयी
भाव की टिकिया
रंग ...मुनिवर..<br />मन पारदर्शी<br />में डल गयी<br />भाव की टिकिया<br />रंग उठते गए<br />और ऋचाएं बनती गईं<br /><br />आपकी कविता आकार प्रकार लेकर खड़ी हो गयी है...कई इन्द्रधनुषी रंगों में..<br />निशब्द शब्द बोल दे तो आज बोल दे...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-10662662117742996532010-01-24T18:36:23.472+05:302010-01-24T18:36:23.472+05:30आप तो 'ऋषि' हुए न !
मंत्र द्रष्टा जो होता...आप तो 'ऋषि' हुए न ! <br />मंत्र द्रष्टा जो होता है ठीक वही ! ... हमें भी मुनि ही / भी बनाइये न ! <br />बचपन का दवात वाला बिम्ब जिसमें स्याही घोली <br />जाती थी , याद आ गया .. आभार , साहब !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-80959090523646570712010-01-24T17:10:43.694+05:302010-01-24T17:10:43.694+05:30आपकी दृष्टि को नमन...
वैसे, इस ऋचा पर कुछ प्रकाश ड...आपकी दृष्टि को नमन...<br />वैसे, इस ऋचा पर कुछ प्रकाश डाल दें तो बेहतर:)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-58102022559617653752010-01-24T17:07:44.708+05:302010-01-24T17:07:44.708+05:30@ महफूज़ अली
पसन्द के लिए धन्यवाद सर जी।
वैदिक संह...@ महफूज़ अली<br />पसन्द के लिए धन्यवाद सर जी।<br />वैदिक संहिताएँ ऋचाओं में लिखी गई हैं, जिन्हें मंत्र भी कहते हैं। गुण, कर्म और स्वभाव के अनुसार इन ऋचाओं के अर्थ ऋषियों ने बताए हैं। उन्हें द्रष्टा कहा गया। ऋचाएँ छन्द बद्ध होती हैं और कुछ में अति उत्तम श्रेणी की कविताई भी मिलती है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-76808775949770034852010-01-24T14:26:02.347+05:302010-01-24T14:26:02.347+05:30bahoot badhiya.bahoot badhiya.सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-70436165692606268732010-01-24T14:17:53.569+05:302010-01-24T14:17:53.569+05:30मुझे कविता बहुत पसंद आई. आपकी शैली और रचना क़ाबिले...मुझे कविता बहुत पसंद आई. आपकी शैली और रचना क़ाबिले तारीफ़ है.अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-78114540797146588562010-01-24T12:15:05.479+05:302010-01-24T12:15:05.479+05:30आखिरी आहुति सी
खुल गई
अभिव्यक्ति एकदम से !
कई बार...आखिरी आहुति सी<br />खुल गई<br />अभिव्यक्ति एकदम से !<br /><br />कई बार आखिरी आहुति... ही सब कुछ बदल देती है.... कविता की यह शैली मैंने कहीं नहीं देखी है... कविताई में भाव के साथ साथ शैली भी बहुत मायने रखती है..... जिसे आपने न्यायपूर्वक लिखा है... कविता बहुत अच्छी लगी.... बहुत पहले देवेन्द्र आर्य जी को इसी शैली में लिखते पढ़ा था... पर आपकी शैली बहुत अच्छी लगी.... <br /><br />वैसे यह ऋचा कौन है?डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.com