tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post3723602202152036911..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: एक बार जाल और ... मिलने जुलने का सलीकागिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-53572689956900992062011-09-29T18:08:43.550+05:302011-09-29T18:08:43.550+05:30@यूँ ही ना तोड़ अभी बीन रे संपेरे..
जाने किस नागिन...@यूँ ही ना तोड़ अभी बीन रे संपेरे..<br />जाने किस नागिन में प्रीत की उचाह हो<br /><br />जीवन को समझाता गीत...दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-41843197299104221922011-07-17T16:06:00.946+05:302011-07-17T16:06:00.946+05:30'मिलने जुलने का सलीका है जरूरी वर्ना
चन्द मुला...'मिलने जुलने का सलीका है जरूरी वर्ना<br />चन्द मुलाकातों में आदमी मर जाता है। '<br /><br />'अज्ञात कवि ने बहुत सही बात लिखी है .पंक्तियाँ पसंद आईं.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-76355260677233049652010-10-28T20:41:43.972+05:302010-10-28T20:41:43.972+05:30सुंदर कविताएं पढ़वाने के लिए आभार।सुंदर कविताएं पढ़वाने के लिए आभार।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-44218050707616191852010-10-28T20:26:45.933+05:302010-10-28T20:26:45.933+05:30@ अरविन्द जी,
बड़े रसहीन वैज्ञानिक हैं आप तो!@ अरविन्द जी, <br />बड़े रसहीन वैज्ञानिक हैं आप तो!गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-44207603357197206262010-10-28T19:37:16.089+05:302010-10-28T19:37:16.089+05:30आल टाईम जोरदार ....
क्या मछलियों में फसने की चाह ...आल टाईम जोरदार ....<br />क्या मछलियों में फसने की चाह होती है ?<br />इस कवि सत्य से हम सहमत नहीं ..वे चारा देख ललचाती हैं बस ,<br />फंस गयी यह दीगर बात है ....नहीं तो चारा छापीं और चल दीं !<br />उन्हें मछेरे से क्या लेना देना ? वैसे मछेरा भी उसे सोंन मछरी की तरह तो सेयेगा नहीं एक दिन गपक ही लेगा !<br />अन्तर्ज्वाला कब तक सहेगा !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-67907689174947566662010-10-27T05:27:03.148+05:302010-10-27T05:27:03.148+05:30@इसमें ज़माने को मिजाज़ पढ़ ले ... टाइपिंग मिस्टेक@इसमें ज़माने को मिजाज़ पढ़ ले ... टाइपिंग मिस्टेकवाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-39066158762231826992010-10-25T19:40:40.188+05:302010-10-25T19:40:40.188+05:30"चन्द मुलाकातों में आदमी मर जाता है। " ध..."चन्द मुलाकातों में आदमी मर जाता है। " ध्यान रखना पड़ेगा.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-59826427765240606752010-10-25T13:39:58.682+05:302010-10-25T13:39:58.682+05:30dono hi kavitayein apni vishishthta liye hue hain,...dono hi kavitayein apni vishishthta liye hue hain,<br />umeed hai apko aur apki pasand ke kaviyon ko padhne ka mauka milta rahega<br />:)Unknownhttps://www.blogger.com/profile/00193683374558166409noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-21700239135202024122010-10-25T07:56:12.698+05:302010-10-25T07:56:12.698+05:30@ एक बार जाल और फेंक रे मछेरे...
माहिर हैं आप इसमे...@ एक बार जाल और फेंक रे मछेरे...<br />माहिर हैं आप इसमें ।<br /><br />बुद्धिनाथ मिश्र कलेजा कुहुकाने वाले गीतकार हैं । खूब रुचते हैं मुझे भी ।<br />गीत का आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-86893200070006436302010-10-25T07:27:16.116+05:302010-10-25T07:27:16.116+05:30कवितायें दोनों ही गहरी हैं, और पढ़वायें अपनी पसन्द...कवितायें दोनों ही गहरी हैं, और पढ़वायें अपनी पसन्द की कवितायें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-27191974304278781902010-10-25T07:13:51.411+05:302010-10-25T07:13:51.411+05:30@ NK Pandey
पूरा ही तो नहीं मिल रहा! जाने कितने वर...@ NK Pandey<br />पूरा ही तो नहीं मिल रहा! जाने कितने वर्षों से ढूँढ़ रहा हूँ। इतना मिला तो सोचा साझा कर दूँ।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-5854251791860193052010-10-25T06:37:33.218+05:302010-10-25T06:37:33.218+05:30आजकल बुद्धिनाथ मिश्रा जी बहुत पसंद किये जा रहे हैं...आजकल बुद्धिनाथ मिश्रा जी बहुत पसंद किये जा रहे हैं ब्लॉगर्स द्वारा ...<br />दोनों कवितायेँ अच्छी है ही ...<br />मिलने जुलने का सलीका जरुरी है ...<br />हमारे शहर का मिजाज़ देखिये ...<br />" कोई हाथ भी ना मिलाएगा जो गले लगोगे तपाक से<br />ये नए ज़माने का शहर है जरा फासले से मिला करो "...:)वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-41728250574816803792010-10-25T05:20:22.513+05:302010-10-25T05:20:22.513+05:30चन्दा के इर्द-गिर्द मेघों के घेरे
ऐसे में क्यों न ...चन्दा के इर्द-गिर्द मेघों के घेरे<br />ऐसे में क्यों न कोई मौसमी गुनाह हो!....<br /><br />सुन्दरतम !Padm Singhhttps://www.blogger.com/profile/17831931258091822423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-76211964909213362492010-10-25T03:57:33.461+05:302010-10-25T03:57:33.461+05:30दोनों ही रचनाओं की अपनी-अपनी सुन्दरता है। साझा करन...दोनों ही रचनाओं की अपनी-अपनी सुन्दरता है। साझा करने का धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-52821502785420120672010-10-24T23:44:50.108+05:302010-10-24T23:44:50.108+05:30पंक्तियां बहुत ही सुन्दर है। मिश्र जी का यह गीत तो...पंक्तियां बहुत ही सुन्दर है। मिश्र जी का यह गीत तो हम पहले भी सुन चुके हैं। क्या आप पूरा गीत यहां दे सकते हैं? बहुत खूबसूरत गीत है।NK Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/06060799217410169212noreply@blogger.com