tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post3424114947470918206..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: अकेली जरा का पर्व गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-44799910795533053772016-10-31T08:58:52.417+05:302016-10-31T08:58:52.417+05:30इस कविता की व्यथा और व्यक्त-अव्यक्त समस्त भावों को...इस कविता की व्यथा और व्यक्त-अव्यक्त समस्त भावों को ह्रदय से अनुभव कर पाता हूँ. किन्तु सृष्टि के इस नियम के समक्ष कौन ठहर पाया है. आपकी इन संवेदनाओं में मुझे भी सम्मिलित पाएं! मेरा नमन है उनको!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com