tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post1971046905802437909..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: डीहवारा की उपलब्धि से आगे...गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-78317382999320377952010-11-28T18:05:10.217+05:302010-11-28T18:05:10.217+05:30@ Kant
क्या बात है!@ Kant<br />क्या बात है!गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-27160178730417612912010-11-28T06:12:41.919+05:302010-11-28T06:12:41.919+05:30आंधियां सहते
तूफान तोड़ते
मेघ रीते
घाम जलते....
...आंधियां सहते<br />तूफान तोड़ते<br />मेघ रीते <br />घाम जलते....<br /><br />आभार...रवि कुमारhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-12150888017807238692010-11-25T23:02:46.861+05:302010-11-25T23:02:46.861+05:30डीहवारा की 'उपलब्धि' इस कविता की प्रेरणा ब...डीहवारा की 'उपलब्धि' इस कविता की प्रेरणा बनी, खुशी हुई.<br /><br />न जाने कैसी है यह प्यास<br />नहीं जिसका है कोई अंत <br />स्वयं की गढता जाऊं मूर्ति<br />शेष रह जाएँ रूप अनंत <br /><br />कभी तो टूटेगी यह सांस<br />अचंचल होंगे थककर प्राण <br />मिटेगी पागल मन की प्यास <br />मिलेगा विह्वलता से त्राण<br /> <br />मगर कह देना उसको लक्ष्य<br />नहीं कर पाता मन स्वीकार <br />कहीं कुछ रह जायेगा शेष<br />अचंचल प्राणों के भी पार.rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-39414716464553315022010-11-25T21:25:09.225+05:302010-11-25T21:25:09.225+05:30मैंने इसे पढ़ा तो सोचा लिखूँ क्या?
वहाँ गया...सोचा ...मैंने इसे पढ़ा तो सोचा लिखूँ क्या?<br />वहाँ गया...सोचा वहाँ कुछ साध पाऊँगा, किन्तु फिर से अकिंचन लौटा.<br />पर इस रस की अनुभूति के लिए कम से कम आभार तो कहता चलूँ.Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-73150233788588946042010-11-25T15:05:14.460+05:302010-11-25T15:05:14.460+05:30उपलब्धि पा ठहर जाने की सड़ांध से अच्छा है प्रेमताप...उपलब्धि पा ठहर जाने की सड़ांध से अच्छा है प्रेमतापस बन टहलते रहना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-54103616467822299502010-11-25T14:07:01.547+05:302010-11-25T14:07:01.547+05:30मूर्तिकार तो गढ़ता है सिर्फ मूर्तियां
नहीं कर पाता...मूर्तिकार तो गढ़ता है सिर्फ मूर्तियां<br />नहीं कर पाता प्राण-प्रतिष्ठा<br />तूने दिया आराम<br />कवि द्वय को <br />मेरा प्रणाम।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-8863137745433989012010-11-25T13:18:52.112+05:302010-11-25T13:18:52.112+05:30प्रेम में ऐसे ही तो होता है।
नहीं, ऐसा लगता है
भटक...प्रेम में ऐसे ही तो होता है।<br />नहीं, ऐसा लगता है<br />भटकते युग याद कहाँ रहते हैं! <br /><br />मगर यादों से ओझल भी तो नही होते।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-47285028123537253302010-11-25T11:01:40.522+05:302010-11-25T11:01:40.522+05:30गुजरेगी खूब जब मिल बैठेंगें दीवाने दोगुजरेगी खूब जब मिल बैठेंगें दीवाने दोArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-89990487421949830972010-11-25T10:07:06.908+05:302010-11-25T10:07:06.908+05:30'तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि एक तुम्ही ऐसे हो ...'तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि एक तुम्ही ऐसे हो !' कभी किसी ने किसी से कहा होगा ऐसा लगता है मुझे :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-55497458260988020872010-11-25T10:06:02.351+05:302010-11-25T10:06:02.351+05:30'तुम्हें देखा तो लगा जैसे सब पाया' सही बात...'तुम्हें देखा तो लगा जैसे सब पाया' सही बात. फॉर एक्जाम्पल: आज के जामने में भी ७ फिगर सैलरी के साथ जीरो फिगर और विविधभारती सुनने वाली लडकियां होती हैं :) डिफिकल्ट, कोम्प्लेक्स... बट पोसिबल.<br /> ऐंवे ही कुछ याद आ गया.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.com