tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post6653089625680424016..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: शुभा मुद्गल और आबिदा परवीन को सुनते हुएगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-27636570601743725382010-04-18T11:11:19.172+05:302010-04-18T11:11:19.172+05:30हमें तो लगा किसी ‘ओमी’ को बुला रही होंगी...
ओमी......हमें तो लगा किसी ‘ओमी’ को बुला रही होंगी...<br />ओमी...आ...ओमी...आ<br /><br />वह तो लगता है नहीं आया...<br />और आप पहुंच गये...इस जुगलबंदी को हथियाने...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-26473686692475417882010-04-16T08:55:34.302+05:302010-04-16T08:55:34.302+05:30उसका जिसने सनातन धर्म और इस्लाम दोनों को सूफियाने ...उसका जिसने सनातन धर्म और इस्लाम दोनों को सूफियाने की राह दिखाई होगी... और फिर स्वर गंगा यमुना के बीच सरस्वती का नृत्य.... बहता चला गया.. <br />---अच्छी प्रस्तुती।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-55163225983400046882010-04-16T06:35:31.324+05:302010-04-16T06:35:31.324+05:30बहुत बढिया.. क्या आपको पता है अभी हाल ही मे दोनो न...बहुत बढिया.. क्या आपको पता है अभी हाल ही मे दोनो ने एक साथ ’दमादम मस्त कलन्दर’ गाया था.. ’अमन की आशा’ प्रोग्राम के तहत बाम्बे मे ही एक समारोह था.. मै उस समारोह को यहा महसूस कर सकता हू :)Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-9483805837462470752010-04-16T03:07:19.060+05:302010-04-16T03:07:19.060+05:30अच्छा प्रयोग और अच्छी सिंथेसिस.......
सुन्दर प्रस्...अच्छा प्रयोग और अच्छी सिंथेसिस.......<br />सुन्दर प्रस्तुति...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-61140465146279338752010-04-15T23:13:26.976+05:302010-04-15T23:13:26.976+05:30बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-45789733705129935972010-04-15T22:22:58.801+05:302010-04-15T22:22:58.801+05:30yes it definitely is some sort of a hypnotic tranc...yes it definitely is some sort of a hypnotic trance-credit to your writing too!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-91737357087796011232010-04-15T22:03:52.580+05:302010-04-15T22:03:52.580+05:30सही मिलाया आपने ..
पं. जसराज को सुनिए तो एक ही कंठ...सही मिलाया आपने ..<br />पं. जसराज को सुनिए तो एक ही कंठ में ॐ और अल्लाह मिलते हुए <br />सुनाई देगा .. अ का (परि)-प्लुत आलाप सुनियेगा गौर से .. उम्मीद है <br />कि यूँ ही एक और कविता पढने को मिलेगी .. कविता और संगीत भी कंठ <br />और वाद्य की तरह ही मिलने लगते हैं .. <br />.<br />अजी बस ..याद दिला दी आपने , अब जा रहा हूँ आबिदा को सुनने ''तुने <br />दीवाना बनाया तो मैं दीवाना बना .... '' ! अकिंचन तो हम भी हैं ! <br />अकिंचन-ई में भी इतनी आलस !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.com