tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post3562411276565417293..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: पाखी ! न बोल।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-1349106920771023532010-03-08T14:08:33.169+05:302010-03-08T14:08:33.169+05:30"पाखी तू बोल
हिय-मर्म खोल
कोई सुने न सुने
बाऊ..."पाखी तू बोल<br />हिय-मर्म खोल<br />कोई सुने न सुने<br />बाऊ सुनेगा !<br />कविता में गुनेगा !"<br /><br />यही कह दूँ ! अदभुत !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-7391503517345078902010-03-06T23:20:08.179+05:302010-03-06T23:20:08.179+05:30बिल्कुल अलग अंदाज की रचना !!बिल्कुल अलग अंदाज की रचना !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-54400574236219488922010-03-06T22:03:02.128+05:302010-03-06T22:03:02.128+05:30बच्चे -
नहीं किलकते ।
एनीमेशन
उम्दा पाखी
सम्मो...बच्चे - <br />नहीं किलकते ।<br />एनीमेशन <br />उम्दा पाखी <br />सम्मोहित देखते<br />आँखें निकलीं <br />पसरी खामोशी <br />आवाज चहचह <br />इलेक्ट्रॉनिक -<br />पाखी न बोल<br /><br />बेहतर पंक्तियां...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-31224374002032645272010-03-06T22:00:33.152+05:302010-03-06T22:00:33.152+05:30पाखी तू बोल
हिय-मर्म खोल
कोई सुने न सुने
बाऊ सु...पाखी तू बोल <br />हिय-मर्म खोल <br />कोई सुने न सुने <br />बाऊ सुनेगा !<br />कविता में गुनेगा !<br />.<br />साखी बनेगी स्याही <br />सियाही सियाही !<br />आलोकित होगा <br />थका - हारा - राही !<br />....... पाखी तू बोल ,,<br />....... हिय - मर्म खोल ,, <br />.<br />मिट जायेंगे सब <br />उजड्ड , उजबक !<br />तेरी नासर्गिकता का <br />कोई न मोल !<br />......... पाखी तू बोल ,,<br />........... हिय - मर्म खोल ,,<br />.<br />आभार बाऊ !!!!!!!!!!!!!!!Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-26545903325523467292010-03-06T21:58:40.805+05:302010-03-06T21:58:40.805+05:30एकदम मनबोल कविता है।
चित्र के साथ नॉस्टॉल्जिया ख...एकदम मनबोल कविता है। <br /><br />चित्र के साथ नॉस्टॉल्जिया खनखना उठा। <br /><br />एकदम मस्त।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-19706141723211900882010-03-06T21:36:44.594+05:302010-03-06T21:36:44.594+05:30मानुख न सुनेगा
न आएगी बारी
पाखी न बोल -
साखी।
......मानुख न सुनेगा<br />न आएगी बारी <br />पाखी न बोल -<br />साखी।<br />....वाह!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com