tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post343743868215382695..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: पौधे, भोर, पीत प्रकाश, ध्वनि, उड़ते कपूर, लौ अर्पित - कविता? नहीं।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-54694945728019093502010-11-13T11:02:56.167+05:302010-11-13T11:02:56.167+05:30कपूर उड़ रहा है
लौ लगा दो न
.....
असहाय कपूर / सुन...कपूर उड़ रहा है<br />लौ लगा दो न<br />.....<br />असहाय कपूर / सुन्दर याचना <br /><br />कपूर में आग का वास<br />उसे भी..लौ की आसपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-86871771894684639022010-09-29T23:59:16.687+05:302010-09-29T23:59:16.687+05:30वहाँ गया , प्रेम-पत्र दिखा ! भाग आया | फिर इस कवित...वहाँ गया , प्रेम-पत्र दिखा ! भाग आया | फिर इस कविता के ब्लॉग पर आ गया | इहाँ 'कपूर' का खेल देख रहा हूँ ! पूर पूर ! कोकास जी लौ का श्लेष बता ही चुके ! वाकही बात ठह गयी है | ओस , नमी , कपूर और तीर ! सब एक से बढ़कर एक ! लिंक के फिर समझावक-भाष्य देख आया ! आभार !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-57079143162391071562010-09-28T09:30:19.004+05:302010-09-28T09:30:19.004+05:30गुम हो गयी हो मेरे भीतर कहीं
फिर भी ढूँढ रहा हूँ
क...गुम हो गयी हो मेरे भीतर कहीं<br />फिर भी ढूँढ रहा हूँ<br />कहाँ हो तुम <br />कपूर उड रहा है<br />लौ लगा दो न्! <br />दिल को छू गयी रचना। शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-12105767164475804092010-09-27T21:48:23.901+05:302010-09-27T21:48:23.901+05:30इन कविताओं में एक बात उल्लेखनीय है कि कपूर के बिम्...इन कविताओं में एक बात उल्लेखनीय है कि कपूर के बिम्ब का आपने बेहद खूबसूरती से अलग अलग प्रयोग किया है । "कपूर उड़ रहा है " तक का प्रयोग तो बहुत देखा है लेकिन " लौ लगा दो न " यह श्लेष इसे एक नया अर्थ देता है । उसी तरह धूप का प्रयोग भी अनेक अर्थ देता है । इस कविता को महसूस किया जा सकता है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-90850130601538759182010-09-27T13:32:12.349+05:302010-09-27T13:32:12.349+05:30अकेलेपंन की घनी पीर कैसे सुन्दर शब्दों में व्यक्त ...अकेलेपंन की घनी पीर कैसे सुन्दर शब्दों में व्यक्त हुई है..श्याम जुनेजा https://www.blogger.com/profile/11410693251523370597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-19913860739609992062010-09-27T13:26:35.117+05:302010-09-27T13:26:35.117+05:30ओह! गिरिजेश जी, तो यह आपकी पोस्ट है ..फिर तो वाकई ...ओह! गिरिजेश जी, तो यह आपकी पोस्ट है ..फिर तो वाकई कमाल हो गया! ... इतना मस्त कर दिया इस रचना नें कि कुछ ख्याल ही न रहा .. वैसे कविता की दुनिया में क्षमा जैसे शब्दों का प्रचलन नहीं होना चाहिए फिर भी इस लापरवाही के लिए क्षमा मांगता हूँश्याम जुनेजा https://www.blogger.com/profile/11410693251523370597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-45901827679873273132010-09-26T17:18:02.144+05:302010-09-26T17:18:02.144+05:30हिमांशु ! आप तो निशब्द कर देते हो आपको पढ़ने के बा...हिमांशु ! आप तो निशब्द कर देते हो आपको पढ़ने के बाद कहने को कुछ सूझता ही नहीं !श्याम जुनेजा https://www.blogger.com/profile/11410693251523370597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-48344476644361709572010-09-26T12:40:22.806+05:302010-09-26T12:40:22.806+05:30ग़ुम हो गई मेरे भीतर कहीं
फिर भी तुम्हें आज ढूढ़ ...<b>ग़ुम हो गई मेरे भीतर कहीं <br />फिर भी तुम्हें आज ढूढ़ रहा हूँ<br />कहाँ हो? <br />कपूर उड़ रहा है <br />लौ लगा दो न!</b><br /><br />ahaa...कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-46081654792450863962010-09-26T09:06:09.941+05:302010-09-26T09:06:09.941+05:30खूब रखते हैं ऐसे अहसास !
कविता में भी उतर आते हैं...खूब रखते हैं ऐसे अहसास ! <br />कविता में भी उतर आते हैं सहज ही! <br />खूबसूरत !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-47732618615156134862010-09-25T22:20:01.443+05:302010-09-25T22:20:01.443+05:30@ कपूर उड़ रहा है
लौ लगा दो न!
..कपूर से या कपू...@ कपूर उड़ रहा है <br /> लौ लगा दो न!<br />..कपूर से या कपूर को ?rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-72295545978076109862010-09-25T21:01:55.644+05:302010-09-25T21:01:55.644+05:30जीवन में घटनायें कर्पूर की तरह महक फैलाती हैं, उड़...जीवन में घटनायें कर्पूर की तरह महक फैलाती हैं, उड़ जाती हैं, जल जाती हैं। पुनः सब वैसा ही।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-85654537038551542822010-09-25T08:37:09.502+05:302010-09-25T08:37:09.502+05:30अभिव्यक्त व्यथा और अभिलाषा !अभिव्यक्त व्यथा और अभिलाषा !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-1072961984290175232010-09-25T08:01:21.047+05:302010-09-25T08:01:21.047+05:30पीर पीर के बाद अब तीर -तीर ....बढ़िया है ...:):)
कप...पीर पीर के बाद अब तीर -तीर ....बढ़िया है ...:):)<br />कपूर सी बसी है यादें या कोई खुद ...<br />सुबह-सुबह ऐसी कवितायेँ पढना ...जैसे सुबह की ताज़ी हवा ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-74363912156672283752010-09-25T00:06:20.492+05:302010-09-25T00:06:20.492+05:30बहुत सुंदर कविता जी, धन्यवादबहुत सुंदर कविता जी, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-4351384389466919682010-09-24T23:41:47.651+05:302010-09-24T23:41:47.651+05:30बेहतर...बेहतर...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-25666317092720567942010-09-24T22:18:20.700+05:302010-09-24T22:18:20.700+05:30प्रेम पत्र पढ़ने सा एहसास!प्रेम पत्र पढ़ने सा एहसास!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com