tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post1624035118316502728..comments2023-10-21T21:31:12.751+05:30Comments on कवितायें और कवि भी..: युगनद्ध - 4गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-11118733792182232612010-05-22T19:11:32.845+05:302010-05-22T19:11:32.845+05:30@ हिमांशु जी,
आप से एकदम सहमत हूँ। जिस भावभूमि में...@ हिमांशु जी,<br />आप से एकदम सहमत हूँ। जिस भावभूमि में यह पंक्तियाँ रच गईं वह इतनी स्थूल नहीं थी। लेकिन कुछ तो लंठई और कुछ हिन्दी ब्लॉगरी में कथित 'शुचिता' समर्थकों को झटका देने के लिए यह चित्र लगाया। <br />आप मेरी अपेक्षा पर एकदम खरे उतरे हैं।<br />आप की टिप्पणियाँ जाने कितने सम्बल देती हैं। लगता है कि हाँ, कम से कम एक व्यक्ति है जो समझ सकता है। समालोचना कर सकता है। कह सकता है।<b> अनुरोध है कि आप बहुत न भी सही लेकिन कम से कम 'एक अर्थ' तो कर ही दीजिए। </b><br />बाउ के उपर आप की लेखमाला ने वे अर्थ भी उजागर किए जो मेरे मन में दूर दूर तक नहीं थे। <br />आभार।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-22013918556337215692010-05-22T18:22:08.932+05:302010-05-22T18:22:08.932+05:30चित्र न देते तब मैं कविता के बहुत से अर्थ करता !
...चित्र न देते तब मैं कविता के बहुत से अर्थ करता ! <br />यह पंक्तियाँ क्या एक बात कहती हैं...<br /><b>"मैं कितना अद्भुत प्रेमी हूँ <br />हरियाली में ढूढ़ता हूँ<br />अब भी वह लाली<br />जब सूरज लजाया था -<br />सुबह सुबह पहली बार <br />हम जो युगनद्ध हुए थे ।"</b>Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-86024143438953497572010-05-22T04:57:35.045+05:302010-05-22T04:57:35.045+05:30@ पर्दे की आड़ नैन मिलाते रहे
हटाया जो पर्दा नज़...@ पर्दे की आड़ नैन मिलाते रहे<br /> हटाया जो पर्दा नज़रें फेर लीं।<br /><br />एक पर्दा तो जरुरी है ...<br /><br />फिर भी<br /><br />हरियाली से ललाई टपक जाती है <br />जी के फाँस ग़र हिलाता हूँ<br />तुम अब भी घाव हरे कर सकती हो। <br /><br />ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-86954686267149814142010-05-20T23:20:15.727+05:302010-05-20T23:20:15.727+05:30आप '9' अतिसाहसी टिप्पणीकारों को माबदौलत दर...आप '9' अतिसाहसी टिप्पणीकारों को माबदौलत दरिद्रराज 'नवरत्न' की उपाधि से भूषित करते हैं। <br />जय हो !<br /> <br />बाकियों के लिए अर्ज किया है: <br />"पर्दे की आड़ नैन मिलाते रहे<br /> हटाया जो पर्दा नज़रें फेर लीं।"गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-86929368663556741632010-05-20T08:24:45.892+05:302010-05-20T08:24:45.892+05:30बहुत बढ़िया!बहुत बढ़िया!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-85208052109791461212010-05-20T07:47:41.298+05:302010-05-20T07:47:41.298+05:30दोनों ही सुन्दर । गहरी और रोमांचित कर देने वाली ।दोनों ही सुन्दर । गहरी और रोमांचित कर देने वाली ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-24613601199191453372010-05-20T06:01:25.718+05:302010-05-20T06:01:25.718+05:30@ तुम्हारी याद में गुलाब रोपे थे
फूलों की जगह बस ...<b>@ तुम्हारी याद में गुलाब रोपे थे <br />फूलों की जगह बस काँटे खिले </b><br /><br /> इसका साक्षात भुक्तभोगी हूँ। ईश्वर को याद करते हुए तुलसी का बिरवा रोपा था....बड़ा होते होते काँटा बन गया। <br /><br /> काँटेदार भक्ति :) <br /><br />कविता सुंदर है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-85619934946766722362010-05-20T05:30:21.861+05:302010-05-20T05:30:21.861+05:30दोनों कविताओं के लिए आभार!दोनों कविताओं के लिए आभार!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-72643726936776162082010-05-20T04:40:04.046+05:302010-05-20T04:40:04.046+05:30ढूढना ज़ारी रखे
अभी भी वह लाली बरकरार है
कुछ हरे पत...ढूढना ज़ारी रखे<br />अभी भी वह लाली बरकरार है<br />कुछ हरे पत्तो ने<br />उसे छिपा रखा हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-6049960906284606292010-05-20T02:34:10.546+05:302010-05-20T02:34:10.546+05:30पढ़ी.पढ़ी.अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-29951099512813435982010-05-20T01:37:07.573+05:302010-05-20T01:37:07.573+05:30बहुत ही मधुर मिलन है आप की इस कविता मैबहुत ही मधुर मिलन है आप की इस कविता मैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-21507424052318901132010-05-20T00:23:04.218+05:302010-05-20T00:23:04.218+05:30waah milan ki baat itne shaandaar shabdon me...waah milan ki baat itne shaandaar shabdon me...दिलीपhttps://www.blogger.com/profile/15304203780968402944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6189295586546905119.post-5038945679652855042010-05-19T22:45:21.630+05:302010-05-19T22:45:21.630+05:30Very Good...Very Good...Mahfooz Alihttps://www.blogger.com/profile/03655176540994817573noreply@blogger.com